उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोनावायरस लाकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए 1000 बसों का संचालन किया है। गौरतलब हो दिल्ली और आस पास के प्रदेशों से दिहाड़ी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं । वायरस का संक्रमण फैलने की समस्या को भांपते हुए सीमावर्ती जिला अधिकारियों को निर्देश थे कि मजदूरों की स्क्रीनिंग कराकर उन्हें भोजन आदि की व्यस्था सुनिश्चित कराई जाय। परन्तु इसे दिल्ली सरकार की लापरवाही कहना उचित ही होगा क्योंकि यदि दिल्ली में मजदूरों के रहने और भोजन की व्यवस्था करा दी जाती तो दिल्ली यूपी सीमा पर भीड़ न उमड़ती। एक और प्रधानमंत्री सोशल डिस्टेंसिंग की बात करते हैं दूसरी तरफ सरकारों के समन्वय ठीक न होने के कारण कोरोना वायरस का रिस्क है। एक ही संक्रमित व्यक्ति पूरी कम्यूनिटी को संक्रमित कर सकता है इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
हालांकि कि सीएम योगी ने जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मजदूरों को रोककर भोजन की व्यवस्था कराते तथा यदि घर जाना ही चाहते हैं तो जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराये। सरकार ने पैदल जा रहे मजदूरों के लिए 1000 बसो संचालन हो रहा है।
प्रवासी मजदूरों के लिए यूपी के स्कूल, कालेज व होटल को बनाया आश्रय कैम्प
उत्तर प्रदेश के अपर सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने कहा कि प्रदेश में लाक डाउन से निपटने के लिए स्कूल, कालेज ,हास्टल, धर्मशाला और होटल में स्थाई स्क्रींनिंग कैम्प और आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं। इन श्रमिकों मजदूरों और कामगारों को रखा जाएगा जिसके पास रहने का स्थान नहीं है।
योगी सरकार का बड़ा फैसला,11000 कैदी होंगे रिहा
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए योगी सरकार ने फैसला लेते हुए 11000 कैदियों रिहा करने फैसला लिया है 8500 विचाराधीन 2500 सजायाफ्ता कैदियों को 8 हफ्तो के लिए रिहा करने का निर्णय लिया है।