- क्रय केंद्रों पर किसान सर्द रातों में कर रहे अपनी बारी का इंतजार
- बिचौलिये किसानो पर रहे हैं भारी
भाजपा के सांसद उपेंद्र रावत के आडियो रिर्काडिंग वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री से मिलकर जनपद में धान खरीद की समस्या से अवगत कराया हो और जनपद के आलाधिकारी हरकत में आकर धान की खरीद शुरू करा दी हो लेकिन वास्तव में किसानो पर मिलर्स और केन्द्र प्रभारियो का नेक्सस भारी पड रहा है। आकडां में तो किसानों की खरीद दिखाई पड रही है परन्तु वास्तविक किसान लाभ से विंचत है।किसानो के माथे पर खिची चिंता की लकीरे इस बात की स्पष्ट गवाही देती है कि छोटे व मझोले किसाने सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य के लाभ से वचिंत है । अन्य योजनाओ की तरह यह योजना भी अतिंम व्यक्ति तक पहुचने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही है। आम किसान धान सरकारी क्रय केन्द्रो पर नही बेच पाते है। केन्द्रो पर किराए की ट्राली लेकर जाता है कई दिनो तक उसका नम्बर नही आता है मजबूर किसान लौटकर अपना धान सस्ते दाम पर बेचता है।
बिचौलियों का नेक्सस किसानो पर पड़ रहा भारी
क्रय केन्द्रों पर मझोले किसानो का धान इस लिए तौलनें में कठिनाई हो रही है क्योंकि बिचौलियों का नेक्सस इतना मजबूत कि आम किसान अपना धान नही तौला पाता है इसका कारण यह भी बताया जाता है कि धान में चावल की रिकवरी कम आ रही है इसलिए केन्द्र प्रभारी मिलर्स पर धान उठान का दबाव नही बना पाते है दूसरी ओर ऊँचे रसूख वाले किसानों और नेताओं के आगे केन्द्र प्रभारी भी नतमस्तक हो जाता है क्योकि प्रतिदिन कोई न कोई फोन घन-धना उठता है मजबूर केन्द्र प्रभारी आम किसान को अगले दिन तौलने का आश्वासन देकर किसान को लौटा देता है। छोटा किसान कब तक किराये की ट्राली लेकर केन्द्र पर अपनी बारी का इंतजार करता रहेगा। आखिरकार थक हार कर किसान बिचौलिये को धान बेच देता है। इन बिचौलियों का नेक्सस मिलर्स और केन्द्र प्रभारी से इतना मजबूत है कि भोले-भाले किसान फस जाते है। किसानो का पंजीकरण करा कर कम कीमत पर धान खरीदकर केन्द्रो पर बेच देते है। तत्काल पैसे की समस्या के कारण बिचौलियो को किसान धान बेच देते है।
18732 किसानों को मिल चुका है लाभः
सरकारी आँकड़ो के अनुसार अब तक 18हजार से अधिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिल चुका है। खरीद लक्ष्य एक लाख तीस हजार एम टी के सापेक्ष अब तक किसानो का 92 हजार एम टी से अधिक धान खरीद हो चुकी है। परन्तु आम किसान अभी अपनी बारी का इंतजार कर रहा है हालाकि आलाधिकारी हरकत में आये है क्रय केन्द्रो का निरीक्षण कर खरीद सुनिश्चित कराने की कोशिश कर रहे है। साफ निर्देश केन्द्र प्रभारियों का दिये गये है कि यदि किसी प्रकार की गडबडी की तो कारवाई होगी।
हाईब्रिड़ धान बना जी का जंजाल :
हाईब्रिड धान में चावल की रिकवरी की समस्या के कारण कारण केन्द्रो पर किसानां का धान खरीदनें से कतरातें है इस वर्ष बाराबंकी में 97 प्रतिशत हाइब्रिड धान की खेती की थी परन्तु सरकार के आंकडे बताते है कि मात्र 35 प्रतिशत ही हाइब्रिड धान बोया गया है। दूसरी ओर मिलर्स कह रहा है कि 57 प्रतिशत ही धान में रिकवरी आ रही है वही बोक्रेन भी अधिक आ रहा है भारतीय खाद्यनिगम मिलर्स से 67 प्रतिशत चावल लेता है तथा 25 प्रतिशत बोक्रेन लेता है मिलर्स का मानना है शंकर धान में रिकवरी भी कम आ रही है इस बार बोक्रेन भी आधे से अधिक आ रही है इस समस्या के कारण मिलर्स धान केन्द्रो से नही उठाते है इस अंतर को कम करने के कारण बिचौलिए धान लेकर कागज पर खरीद कर ली जाती है।
वही मिलर्स को 20 प्रति कुन्तल की दर से कुटाई के लिए समय पर भारतीय खाद्य निगम को देने पर मिलता है। मिलर्स कहते है हमें हाईब्रिड धान का चावल पहले 67 किलो देना होता है हाईब्रिड धान की खरीद से कतराते है दूसरा कारण यह है कि शासन मात्र 35 प्रतिशत ही धान किसानों का लेने की बात कह रही है जबकि जनपद में 99 प्रतिशत हाईब्रिड धान की खेती की जाती है इस समस्या के कारण समर्थन मूल्य का लाभ शतप्रति छोटे मझोले किसानों को नही मिल पाता है।